भा.प्रौ.सं. गाँधीनगर: उत्कृषटता के 15 वर्षसमाचार


संस्थापक निदेशक

डॉ सुधीर जैन भूकंप अभियांत्रिकी क्षेत्र के एक सक्रिय शिक्षाविद् तथा उत्साही शैक्षणिक प्रशासक हैं। वे वर्तमान में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। वे वर्ष 1985 से 2019 तक भा॰प्रौ॰सं॰ कानपुर में सिविल अभियांत्रिकी विभाग में संकाय पद पर थे। वे जून 2009 – जून 2019 तथा सितम्बर 2019 से जनवरी 2022 तक भा॰प्रौ॰सं॰ गांधीनगर के निदेशक के रूप में कार्य कर चुके हैं।

डॉ जैन अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक भूकंप अभियांत्रिकी विद्वान तथा दूरदर्शी शैक्षणिक प्रशासक हैं। विज्ञान व अभियांत्रिकी क्षेत्र में अपनी विशिष्ट सेवाएं प्रदान करने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक, पद्मश्री पुरस्कार से 2020 में सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 2021 में राष्ट्रीय अमरीकी अभियांत्रिकी अकादमी का अंतरराष्ट्रीय सदस्य (भारत से चयनित मात्र 18 में से एक) चुना गया तथा वर्ष 2018 में शैक्षणिक व शोध उत्कृष्टता के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की का विशिष्ट पूर्वछात्र पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

डॉ जैन ने भारत में भूकंप अभियांत्रिकी अनुप्रयोगों व शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत में अनेक प्रमुख भूकंप संबंधी कोड के निर्माण में उनकी अहम भूमिका रही, तथा उन्होंने अपने निरंतर जारी शिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से हज़ारों पेशेवर अभियंताओं व महाविद्यालय के शिक्षकों को भूकंप अभियांत्रिकी में प्रशिक्षण दिया है। उन्होंने भा॰प्रौ॰सं॰ कानपुर में राष्ट्रीय भूकंप अभियांत्रिकी सूचना केंद्र (एनआईसीईई) की स्थापना की तथा भारत सरकार द्वारा सहयोग प्राप्त राष्ट्रीय भूकंप अभियांत्रिकी शिक्षा कार्यक्रम (एनपीईईई) का निर्माण किया। उन्होंने कई प्रधान परियोजनाओं, जैसे पुल और पैट्रोरसायन पाइपलाइन आदि में परामर्श सेवाएं दी हैं, तथा 150 से अधिक वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए हैं। उनकी अनुसंधान रुचियों में भूकंपों, प्रबलित कांक्रीट की इमारतों, पुलों और भूकंपीय कोडों का अध्ययन शामिल है।

उन्होंने 2014-18 के मध्य अंतरराष्ट्रीय भूकंप अभियांत्रिकी संघ के अध्यक्ष के रूप में (इस पद पर दूसरे भारतीय) कार्य किया तथा 2021 में इसकी सम्मानजनक सदस्यता भी प्राप्त की है। उनको 2003 में भारतीय राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अकादमी का फेलो चुना गया, और 2013 में न्यूजीलैंड भूकंप अभियांत्रिकी सोसायटी (एनज़ीएसईई) ने उन्हें आजीवन सदस्यता प्रदान की है।

डॉ जैन के नेतृत्व में भा॰प्रौ॰सं॰ गांधीनगर ने पाठ्यक्रम विकास, अंत:विषयता और छात्र, संकाय व संस्थान प्रबंधन में अनेक नवीन पहलें शुरू की हैं। भा॰प्रौ॰सं॰ गांधीनगर भारत के सबसे वैश्वीकृत परिसरों में से एक है; इसके 40 प्रतिशत से अधिक स्नातक छात्र और इसके 75 प्रतिशत पीएचडी छात्र विदेश या अन्य अंतरराष्ट्रीय अवसरों पर अध्ययन प्राप्त करते हैं। संस्थान टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 में भारत में शीर्ष 7 और विश्व स्तर पर 601-800 बैंड में शामिल है। डॉ जैन ने भा॰प्रौ॰सं॰ गांधीनगर के नए परिसर निर्माण को आरंभ किया जिसे कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त हैं तथा यह भारत में प्रथम ग्रिहा-एलडी की पांच-सितारा रेटिंग पाने वाला संस्थान है।

डॉ जैन ने 1984-2019 के बीच 35 वर्षों तक भा॰प्रौ॰सं॰ कानपुर में संकाय के रूप में कार्य किया है। उन्हें रूड़की विश्वविद्यालय से अभियांत्रिकी में स्नातक उपाधि (1979) और केलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान, पसादेना से अधिस्नातक उपाधि (1980) व डॉक्टोरल उपाधि (1983) प्राप्त है।

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